अपने घर को एस्सेट समझना ही वह वजह है जो हमें कर्ज के बोझ तले दबाती है। आज अधिकतर लोगों की यही सोच है। अगर सैलरी बढ़ती है तो लोग सोचते हैं कि अब वह बड़ा सागर ले सकते हैं क्योंकि उन्हें यह अपने पैसे का सही इस्तेमाल लगता है। इसके बदले अगर यही पैसा सही जगह लगाया जाए तो उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल सकती है। लेकिन ऐसा हो ही नहीं पाता क्योंकि उनका सारा वक्त हाड़ तोड़ मेहनत करने में चला जाता है। अपनी नौकरी को सेव जॉन समझकर वह उससे अलग कुछ सोच नहीं पाते, और साथ ही उन पर कर्ज का इतना बोझ होता है कि वह नौकरी छोड़ने का रिक्स ले ही नहीं सकते।
अब जरा खुद से यह सवाल कीजिए कि आज आप नौकरी छोड़ कर बैठ जाते हैं तो कितने दिन आपका गुजारा चलेगा ? क्योंकि अगर आप फाइनेंशली लिटरेट नहीं है, अगर आपने सारी उम्र सिर्फ सैलरी के भरोसे ही काटी है, और एस्सेट्स के बदले आप पर लायबिलिटीज ली है तो यकीनन आपकी जिंदगी एक कड़ी चुनौती है।
सिर्फ नेट वर्थ के भरोसे आपका काम नहीं चल सकता। नेट वर्थ बताते हैं कि आपके पास वाकई में कितना पैसा है चाहे वह एक गेराज में बड़ी पुरानी कार के रूप में ही क्यों ना हो। अब भले ही वह कार कुछ काम नहीं कि नहीं हो, जबकि वेल्थ का मतलब है कि आपके पास जो पैसा है उससे आप कितना और पैसा कमा रहे हैं।
जैसे कि मान लीजिए आपके पास कोई एस्सेट है जिससे हर महीने मुझे $3000 की कमाई हो जाती है, और हर मेरी आपके $6000 खर्च हैं तो मैं सिर्फ आदे महीने ही अपना गुजारा कर पाऊंगा, तो सॉल्यूशन यह होगा कि अपने एस्सेट्स से मिलने वाला पैसा बड़ा दे। जब वह $6000 मिलने लगेगा तो वह व्यक्ति रातो रात अमीर नहीं हो जाएगा मगर इस तरह आप वेल्थी तभी बन पाएंगे जब आप खर्च आपके एस्सेट्स की ग्रोथ से कम रहे।
तीसरा सबक 3: अपने काम से काम रखें
दुनिया की सबसे बड़ी फूड चैन मैकडॉनल्ड (Mcdonald) के फाउंडर रे क्रोक ने एक एमबीए क्लास में एक स्पीच दी। यह 1947 की बात है उनकी यह स्पीच बड़ी ही शानदार थी, लोगों को प्रेरित करने वाली। स्पीच के बाद जब एमबीए क्लास के छात्रों ने कुछ वक्त उनके साथ बिताने की गुजारिश की तो वह उनके साथ बीयर पीने चले गए। बातों बातों में रे क्रोक ने अचानक एक सवाल किया ? “क्या आप लोग जानते हैं कि मैं किस बिजनेस में हूँ ?”
अब यह बात तो सबको मालूम थी की वह हैमबर्गर बेचते थे। इस बात पर वह हंसने लगे और बोले कि उनका असल बिजनेस तो रियल स्टेट है। क्योंकि मैकडॉनल्ड के लिए हर लोकेशन का चुनाव सोच समझकर किया जाता है। जहां उसकी फ्रेंचाइजी बनाई जाती है वह जमीन भी साथ ही बेची जाती है। तो इसका सीधा मतलब है कि मैकडोनेल की फ्रेंचाइजी खरीदने वाले को वह जमीन खरीदनी पड़ती थी। तो इस तरह यह एक रियल स्टेट बिजनेस भी हुआ।
यही सबक अमीर डैड ने रोबर्ट को सिखाया की अक्सर लोग खुद के लिए छोड़कर बाकी सब के लिए काम करते हैं। वह टैक्स चुका कर सरकार के लिए काम करते हैं, उस कंपनी के लिए काम करते हैं जहां वह नौकरी करते हैं, बैंक का मोटरज़ देकर उसके लिए काम करते हैं और यह सब इसलिए क्योंकि हमारे एजुकेशन सिस्टम ही ऐसा है। स्कूल हमें एम्प्लोयी (Employee) बन्ना सिखाता है ना कि एंपलॉयर (Employer), जो आप पढ़ते हैं वही आप बनते हैं। अगर आपने मैथमेटिक्स पड़ा है इंजीनियर, जो आपने पड़ा है वह आप बने। अब मुसीबत यह है कि इससे छात्रों का कोई भला नहीं हो पाता, क्योंकि वह नौकरी और बिजनेस के बीच के फर्क में उलझ कर रह जाते हैं।
जब कोई पूछता है कि आपका क्या बिजनेस है तो आपको यह नहीं बोलना चाहिए कि मैं एक डॉक्टर हूं या एक बैंकर हूं क्योंकि वह आप का प्रोफेशन है। कहने का मतलब है कि आप जो करते हैं उसे अपना बिजनेस बनाइए नौकरी नहीं। अपनी सारी उम्र दूसरों के लिए काम करके उन्हें अमीर करने में बर्बाद ना करें बल्कि खुद की जिंदगी को खुशहाल बनाने के लिए काम करें।
फाइनेंशियल सिक्योर होने का सही तरीका ?
बहुत से लोगों को इस बात का एहसास बड़ी देर हो पाता है की उनका हाउस लोन उनकी जान ले रहा है, और फिर उन्हें लगता है कि जिसे वह एस्सेट मानने की गलती कर रहे थे दरअसल कभी वह एस्सेट था ही नहीं। जैसे उन्होंने कार ली, तो उससे जुड़े तमाम खर्चे उनकी लायबिलिटीज बन गए। उन्हें पूरा करने के लिए नौकरी जरूरी है और अगर कभी वह सेव जॉब उनके हाथों से निकल गई तो उनकी मुसीबत शुरू हो जाती है। इसलिए तो हम एस्सेट्स कॉलम पर इतना जोर दे रहे हैं, ना की आपकी इनकम कॉलम पर, और फाइनेंशियल सिक्योर होने का यही एक तरीका है।
आप कितने अमीर हैं, यह जाने का सही तरीका नेटवर्थ इसलिए नहीं है जब भी आप अपने एस्सेट्स बेचते है तो उन पर भी टैक्स लगता है। आपको कुछ नहीं पता नहीं मिलता जितना कि आप सोचते हैं। आपके बैलेंस शीट के हिसाब से आपको जितना भी पैसा मिलेगा उस पर भी आपको टैक्स देना पड़ेगा।
जो आप कर रहे हैं उसे एकदम मत छोड़िए, यह किताब आपको कभी भी यह सलाह नहीं देगी। अपनी नौकरी करते रहिए साथी साथ एस्सेट्स भी जमा कीजिए, और एस्सेट्स मेरा मतलब है सही और असली मायने में एस्सेट्स। मैं यह नहीं कहूंगा कि आप कोई कार लीजिए क्योंकि वह मेरी नजर में एस्सेट्स नहीं है क्योंकि जैसे ही आप उसे चलाना शुरू करते हैं अपनी कीमत का 25% खो देती है। जितना हो सके खर्च में कटौती करें और लायबिलिटीज घटाएं। आप किस तरह के एस्सेट्स खरीदे जाने चाहिए ? रिच डैड पुअर डैड के 7 भाग में आपको कुछ उदाहरण दिए गए है…….
Rich Dad Poor Dad All Chapter
- Rich Dad Poor Dad Chapter – 1 (Read Now)
- Rich Dad Poor Dad Chapter – 2 (Read Now)
- Rich Dad Poor Dad Chapter – 3 (Read Now)
- Rich Dad Poor Dad Chapter – 4 (Read Now)
- Rich Dad Poor Dad Chapter – 5 (Read Now)
- Rich Dad Poor Dad Chapter – 6 (Read Now)
- Rich Dad Poor Dad Chapter – 7 (Read Now)
- Rich Dad Poor Dad Chapter – 8 (Read Now)
- Rich Dad Poor Dad Chapter – 9 (Read Now)